सितंबर 2025 के प्रमुख समाचार – कर, पंचायत और जमीन का पूरा विश्लेषण

नमस्ते दोस्त! इस महीने ग्रा‍मिक वार्ता समाचार में तीन बड़े मुद्दे सामने आए हैं। एक टैक्सदाताओं के लिए राहत वाला अपडेट, दूसरा स्थानीय प्रशासन की लॉटरी प्रक्रिया, और तीसरा राष्ट्रीय स्तर की जमीन‑स्वामित्व की रहस्य। चलिए एक‑एक करके देखते हैं कि ये खबरें आपके लिये क्यों मायने रखती हैं।

ITR फाइलिंग डेडलाइन 16 सितम्बर तक बढ़ी

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने यह घोषणा की कि इस साल की इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग की अंतिम तिथि 16 सितंबर है। मूल तिथि जल्द‑से‑जल्द थी, लेकिन फॉर्म में बार‑बार बदलाव और पोर्टल की तकनीकी समस्याओं ने कई करदाताओं को परेशानी में डाल दिया था। अब नई तिथि से आपको अतिरिक्त एक हफ़्ता मिल गया है, जिससे आप अपने दस्तावेज़ ठीक‑ठाक इकट्ठा कर, बिना तनाव के रिटर्न जमा कर सकते हैं। अगर आप अब भी जमा नहीं कर पाए तो देर होने से पहले तुरंत पोर्टल लॉग‑इन करें, सही फॉर्म चुनें और भुगतान रसीद सुरक्षित रखें।

अमेठी के लौंकेपुर पंचायत में कोतेदार चयन लॉटरी प्रक्रिया

अमेठी जिले के लौंकेपुर पंचायत में कोतेदार पद के लिए लॉटरी प्रणाली लागू की गई है। इस लेख में चयन मानदंड, आवेदन चरण और लॉटरी के संचालन का विस्तृत विवरण दिया गया है। सबसे पहले, इच्छुक उम्मीदवारों को ऑनलाइन फॉर्म भरना होता है और सभी दस्तावेज़ अपलोड करने होते हैं। फिर पंचायत एकत्रित डेटा को रैंडम नंबर जेनरेटर से मिलाती है, जिससे चयन पारदर्शी बनता है। प्रक्रिया के दौरान चुनाव आयोग ने सुरक्षा कैमरा और लाइव स्ट्रीमिंग का प्रयोग किया, ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी के साथ झूठी शिकायतें न बनें। यदि आप स्थानीय प्रशासन में भाग लेना चाहते हैं तो इस लेख से पूरी जानकारी ले सकते हैं और अगले चुनाव में सही समय पर आवेदन कर सकते हैं।

अब बात करते हैं देश के सबसे बड़े जमीन मालिकों की। सरकारी भूमि तो सबसे बड़ी है, पर उसके बाद कौन‑कौन है, यह अक्सर दिलचस्प सवाल बनता है।

भारत में सबसे बड़े जमीन मालिक कौन?

एक विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सबसे बड़ी जमीन सरकार के पास है, लेकिन उसके बाद रक्षा मंत्रालय, भारतीय रेल, और वक्फ बोर्ड का बड़ा हिस्सा है। बड़े मंदिर ट्रस्ट, कुछ ए.एफ.आर. संस्थान और कॉरपोरेट कंपनियों के पास भी लाखों एकड़ ज़मीन है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कई आंकड़े अलग‑अलग स्रोतों से आते हैं, इसलिए कभी‑कभी टकराव होता है। उदाहरण के तौर पर, रेलways के पास लगभग 0.9 मिलियन हेक्टेयर की जमीन है, जबकि रक्षा मंत्रालय के पास लगभग 0.5 मिलियन हेक्टेयर है। वक्फ बोर्ड की संपत्ति भी अनदेखी नहीं की जा सकती; उनका हिस्सा अक्सर धार्मिक कारणों से निरोधित रहता है।

इन बड़े मालिकों के पास जमीन का उपयोग किस तरह से हो रहा है, यह भी महत्वपूर्ण है। कुछ ज़मीन कृषि उद्देश्यों के लिए उपयोग होती है, जबकि कुछ औद्योगिक या आवासीय विकास के लिए रखी गई है। सरकारी योजनाओं में अक्सर इन जमीनों को मोनेटाइज करने के प्रस्ताव आते हैं, जैसे कि सार्वजनिक‑निजी भागीदारी (PPP) मॉडल। अगर आप ग्रामीण विकास में रुचि रखते हैं तो इन बड़े जमीन मालिकों की नीतियों को समझना आपके प्रोजेक्ट्स के लिए फायदेमंद रहेगा।

संक्षेप में, यह महीना तीन अलग‑अलग लेकिन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों – टैक्स, स्थानीय प्रशासन और राष्ट्रीय संपत्ति – का है। यदि आप इन विषयों से जुड़े हैं, तो ऊपर दी गई जानकारी को नोट कर लें, क्योंकि सही समय पर कार्रवाई करने से आप बड़ी समस्याओं से बच सकते हैं। अगली बार फिर नए अपडेट्स लेंगे, तब तक पढ़ते रहिए, सीखते रहिए, और अपने गाँव के विकास में योगदान देते रहिए!

30सित॰

CBDT ने ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि 16 सितंबर 2025 कर दी, क्योंकि फॉर्म बदलाव और पोर्टल गड़बड़ी ने करदाताओं को परेशान किया।

23सित॰

अमेठी जिले के लौंकेपुर पंचायत में कोतेदार पद के लिए लॉटरी प्रक्रिया को लेकर सभी जानकारी इस लेख में दी गई है। चयन मानदंड, आवेदन चरण और भविष्य में संभावित बदलावों को विस्तार से समझाया गया है। स्थानीय प्रशासन की पारदर्शिता पर भी प्रकाश डाला गया है।

16सित॰

भारत में सरकार सबसे बड़ा जमीन मालिक है, लेकिन उसके बाद कौन? रक्षा मंत्रालय, भारतीय रेल, वक्फ बोर्ड, बड़े मंदिर ट्रस्ट, चर्च और कॉरपोरेट—सबके पास बड़ी-बड़ी जमीनें हैं। कई आंकड़े विवादित हैं और सर्वे अधूरे। जमीन के उपयोग, अतिक्रमण, और मोनेटाइजेशन योजनाओं के कारण तस्वीर बदल रही है। यह रिपोर्ट साफ बताती है कि आंकड़े क्यों टकराते हैं और आगे क्या होगा।