CBDT का परिचय: सीधे कर प्रशासन का दिमाग़ी केंद्र
अगर आपने कभी आयकर रिटर्न फाइल किया है या टैक्स संबंधी समाचार देखा है, तो आपने संभवतः CBDT का नाम सुना होगा। CBDT, यानी सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेस, भारत के आयकर विभाग का प्रमुख decision‑making बॉडी है। इस लेख में हम समझेंगे कि CBDT क्या करता है, उसका महत्त्व क्या है और आप इससे क्या जानकारी ले सकते हैं।
CBDT की मुख्य जिम्मेदारियाँ
CBDT कई दिशा‑निर्देश बनाता है जो पूरे भारत में सीधे कर (जैसे आयकर, पूँजीगत लाभ, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) को लागू करने में मदद करते हैं। कुछ मुख्य काम हैं:
- कर नीति तैयार करना: बजट में आयकर स्लैब, छूट और दंड नियमों को तय करना।
- क़ानून में बदलाव: जब संसद में नए कानून आते हैं, तो CBDT उनका कार्यान्वयन रूपरेखा बनाता है।
- टैक्स एग्रीमेंट: दो‑पक्षीय कर संधियों की निगरानी और उनका सही प्रयोग।
- ऑडिट एवं विवाद समाधान: बड़े टैक्स मामलों की जाँच और अपील प्रक्रिया का प्रबंधन।
इन सब कामों से टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता और समानता बनी रहती है।
CBDT से जुड़ी रोज़मर्रा की जानकारी
आपको शायद लगे कि CBDT सिर्फ सरकारी लोगों की बात है, लेकिन असल में यह आपके कर फाइलिंग को सीधे प्रभावित करता है। यहाँ कुछ व्यावहारिक बातें हैं जो आप रोज़मर्रा में इस्तेमाल कर सकते हैं:
- साल में दो बार आयकर रिटर्न फाइल करने की आख़िरी तिथि कब है, यह CBDT के कैलेंडर में लिखी होती है।
- अगर आप नया PAN या TAN बनवाते हैं, तो उसका जारी होना भी CBDT के नियमों के तहत होता है।
- ट्रैवल फ़्रीज, हेल्थ इंश्योरेंस डिडक्टेबल या सिडीसी जैसे डिडक्शन क्लेम करने से पहले, CBDT की आधिकारिक गाइडलाइन देखना ज़रूरी है।
इन जानकारी को आधिकारिक वेबसाइट (incometax.gov.in) पर देख सकते हैं, जहाँ CBDT के आदेश और नोटिफ़िकेशन नियमित रूप से अपडेट होते हैं।
संक्षेप में, CBDT वह संस्था है जो सीधे कर के नियम बनाती, लागू करती और उनका पालन कराती है। उसकी अपडेटेड जानकारी आपको अपने टैक्स को सही समय पर, सही रकम में, और बिना दण्ड के निपटाने में मदद करती है। अगली बार जब आप टैक्स रिटर्न भरें या कर संबंधी किसी नई घोषणा को देखें, तो याद रखें कि पीछे की शक्ति CBDT ही है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने ITR फाइलिंग डेडलाइन को 16 सितम्बर तक बढ़ाया
प्रकाशित किया गया सित॰ 30, 2025 द्वारा रवि भटनागर
CBDT ने ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि 16 सितंबर 2025 कर दी, क्योंकि फॉर्म बदलाव और पोर्टल गड़बड़ी ने करदाताओं को परेशान किया।