भारत में सबसे ज्यादा जमीन किसके पास?
जब हम 'सबसे बड़ा ज़मींदार' सुनते हैं तो दिमाग में अक्सर बड़े खेत या सुनहरी रेत वाले इलाके आते हैं। लेकिन असल में भारत में जमीन का सबसे बड़ा हिस्सा कौन रखता है, ये सवाल थोड़ा जटिल है। यहाँ न सिर्फ निजी व्यक्तियों, बल्कि सरकारी, धार्मिक और कॉरपोरेट संस्थानों का भी दायरा शामिल है। चलिए जानते हैं किन‑किन के पास सबसे ज्यादा ज़मीनी संपदा है और क्यों।
सरकारी और सार्वजनिक संस्थानों का कब्ज़ा
भारत का लगभग 30 % भूमि सीधे सरकार के पास रहती है। यह भूमि वन, जलसंपदा, राष्ट्रीय उद्यान, सैन्य प्रशिक्षण मैदान और सड़कों में बँटी होती है। केंद्र और राज्य दोनों सरकारें अपने बुनियादी ढाँचे, शिक्षा संस्थानों और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बड़ी मात्रा में जमीन का उपयोग करती हैं। इस कारण सरकारी रिकॉर्ड में सबसे बड़ी ज़मीनी संपत्ति दर्ज है, जबकि यह आम जनता के लिए सार्वजनिक उपयोग में रहती है।
धार्मिक संस्थान और ट्रस्ट
धार्मिक संस्थान, विशेषकर मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और गीता मंदिर, भी भारत में बड़ी मात्रा में जमीन रखते हैं। कई पुरानी मंदिर परिसरों में आसपास के गांवों की ज़मिकत मिलकर लाख एकड़ तक हो सकती है। इन संस्थानों की भूमि अक्सर दान और वसीयत के माध्यम से आती है, और यह भूमि स्थानीय समुदायों के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन में अहम भूमिका निभाती है।
धार्मिक ट्रस्ट अक्सर कृषि, आवास और वाणिज्यिक विकास के लिए भी इन जमीनों को उपयोग में लाते हैं, जिससे उनका आर्थिक प्रभाव और बढ़ जाता है। इसलिए, यदि आप कुल ज़मीनी संपदा के हिसाब से देखें तो ये संस्थान बहुत बड़े ज़मींदार माने जा सकते हैं।
निजी बड़े जमींदार और परिवारिक क़बिलियां
सरकारी और धार्मिक संस्थानों के बाद, निजी बड़े जमींदारों का स्थान आता है। भारत में कुछ प्रमुख कृषि परिवार, जैसे कि पंजाब के स्वान और हरियाणा के जांगिड़ा, लाखों एकड़ कृषि भूमि के मालिक हैं। इन परिवारों का संपत्ति पीढ़ियों से चली आती है और अक्सर क़बिलियों, ट्रस्ट या कंपनियों के रूप में संरचित होती है।
इसके अलावा, बड़े कॉरपोरेट समूह, खासकर रियल एस्टेट और खनन कंपनियों के पास भी बड़ी मात्रा में जमीन होती है। ये कंपनियां औद्योगिक पार्क, भंडारण सुविधाएँ, कोयला और लौह अयस्क खनिकरण के लिए भूमि का अधिग्रहण करती हैं। यह जमीन अक्सर सरकारी लीज़ या निजी डील के माध्यम से प्राप्त की जाती है।
भू-राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
भारी भूमि मालिकों का प्रभाव सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक भी होता है। बड़े ज़मींदार स्थानीय रोजगार, कृषि उत्पादन और सामाजिक परियोजनाओं में योगदान देते हैं। वहीँ, सरकारी और धार्मिक संस्थानों की ज़मीन सार्वजनिक सेवाएँ, शिक्षा और स्वास्थ्य में मदद करती है। इसलिए ज़मीनी वितरण को समझना जरूरी है, क्योंकि यह भारत के विकास दिशा को सीधा प्रभावित करता है।
संक्षेप में, भारत में सबसे ज्यादा जमीन सरकार, धार्मिक ट्रस्ट और बड़े निजी परिवारों के पास है। प्रत्येक वर्ग की अपनी भूमिका, अधिकार और जिम्मेदारी है। अगर आप जमीन के बारे में और गहराई से जानना चाहते हैं तो सरकारी भूमि रिकॉर्ड, वैद्य मानचित्र और स्थानीय केस स्टडीज़ देख सकते हैं। यह जानकारी आपको भूमि के स्वरुप और उसके सामाजिक असर को बेहतर समझने में मदद करेगी।
भारत में सबसे ज्यादा जमीन किसके पास? सरकार के बाद बड़े जमीन मालिकों की असली तस्वीर
प्रकाशित किया गया सित॰ 16, 2025 द्वारा रवि भटनागर
भारत में सरकार सबसे बड़ा जमीन मालिक है, लेकिन उसके बाद कौन? रक्षा मंत्रालय, भारतीय रेल, वक्फ बोर्ड, बड़े मंदिर ट्रस्ट, चर्च और कॉरपोरेट—सबके पास बड़ी-बड़ी जमीनें हैं। कई आंकड़े विवादित हैं और सर्वे अधूरे। जमीन के उपयोग, अतिक्रमण, और मोनेटाइजेशन योजनाओं के कारण तस्वीर बदल रही है। यह रिपोर्ट साफ बताती है कि आंकड़े क्यों टकराते हैं और आगे क्या होगा।