अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस – क्या खास है?

जब हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, हर साल 8 मार्च को महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों को मान्यता देने तथा लैंगिक समानता की दिशा में कार्रवाई को प्रेरित करने वाला वैश्विक उत्सव. Also known as वर्ल्ड वुमेन्स डे की बात करते हैं, तो साथ ही लैंगिक समानता, पुरुष‑और‑महिला के बीच समान अधिकार, अवसर और सम्मान और महिला सशक्तिकरण, महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक तौर पर स्वतंत्र बनाना के विचार भी सामने आते हैं। इस आंदोलन की आधिकारिक शुरुआत संयुक्त राष्ट्र, विश्व शांति और विकास के लिए अंतर‑राष्ट्रीय संगठन ने की थी। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उत्सव हर साल भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में भी आकर्षण बन रहा है।

इतिहास और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भूमिका

1908 में न्यूयॉर्क में महिलाओं की आय से संबंधित विरोध प्रदर्शन को पहला कदम माना जाता है। 1975 में, संयुक्त राष्ट्र ने इसे आधिकारिक रूप से अपनाया और 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया। इस दिन को अपनाने का मूल उद्देश्‍य "लैंगिक समानता" को वैश्विक स्तर पर स्थापित करना था, जबकि "महिला सशक्तिकरण" को विभिन्न देशों में नीति‑स्तर पर लागू करना था। पिछले दशकों में इस दिवस ने असंख्य महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में प्रगति करने के लिए प्रेरित किया।

भारत में, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ने महिलाओं की आवाज़ को स्थानीय मंचों तक पहुंचाया है। गाँव के पंचायत में महिलाएँ अब अपने अधिकारों के बारे में जानती हैं और जल, स्वच्छता और पोषण जैसे मुद्दों पर निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। यहाँ "लैंगिक समानता" केवल कानूनी शब्द नहीं बल्कि रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में बदलाव लाने का माध्यम बन गया है।

जब बात ग्रामीण भारत की आती है, तो "महिला सशक्तिकरण" का अर्थ केवल आर्थिक स्वतंत्रता नहीं, बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच भी होता है। कई NGOs और सरकारी योजनाएँ इस दिशा में काम कर रही हैं – जैसे कि कौशल प्रशिक्षण, माइक्रो‑क्रेडिट और महिला स्ट्रीट कोचिंग। इन प्रयासों ने महिलाओं को फसल प्रबंधन, पशुपालन और स्थानीय बाजार में भाग लेने के लिये सक्षम बनाया है।

आज भी कई चुनौतियाँ मौजूद हैं: महिला श्रमिकों को कम वेतन, कृषि में सीमित भूमिकाएँ, और घरेलू हिंसा का सवाल। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे आंदोलन, जैसे कि #MeToo, इन मुद्दों को उजागर कर रहे हैं और नीति‑निर्माताओं को कार्रवाई के लिए दबाव बना रहे हैं। इस संदर्भ में "लैंगिक समानता" और "महिला सशक्तिकरण" दो हाथों में दो हथियार बनकर कार्य कर रहे हैं, जो सामाजिक परिवर्तन को तेज कर रहे हैं।

आप नीचे दी गई लेखों में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से जुड़ी विभिन्न पहलुओं – इतिहास, ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और नीति‑निर्देशों – की गहरी जानकारी पाएँगे। ये सामग्री आपको इस महत्वपूर्ण दिन की मौजूदा प्रासंगिकता और भविष्य में संभावित प्रभावों को समझने में मदद करेगी। अब आगे बढ़ते हैं, जहाँ आप विस्तृत लेखों के माध्यम से अपने ज्ञान को और समृद्ध कर सकते हैं।

14अक्तू॰

61 साल की निता अंबानी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर फिटनेस रहस्य खुलासा

प्रकाशित किया गया अक्तू॰ 14, 2025 द्वारा रवि भटनागर

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2025 पर निता अंबानी ने अपनी 61 साल की फिटनेस रूटीन और शाकाहारी आहार साझा किया, साथ ही #StrongHERMovement से महिलाओं को रोज़ 30 मिनट व्यायाम करने का संदेश दिया।